डॉ. विवेकी राय
पूर्व रीडर, हिन्दी विभाग
स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर

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स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर
डॉ. विवेकी राय<br/>पूर्व रीडर, हिन्दी विभाग<br/>स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर

प्रिय पाण्डेय जी,

प्रिय ज्ञानेन्द्र नारायण राय जी द्वारा ‘स्थापत्यम्’ के दो अंक मिले हैं। अद्भुत दमदार पत्रिका है, भीड़ में अकेली अपने भव्य और प्रभावशाली स्वरूप में यह सांस्कृतिक भारत का दर्शन करा देती है। स्थापत्य और पुरातत्त्वादि जैसे गम्भीर अव्यावसायिक विषयों की प्रस्तुति के लिए समर्पित यह पत्रिका का आकर्षण है कि अति स्वास्थ्य बाधाओं के बावजूद काफी कुछ पढ़ जाता हूँ। आकर्षक छपाई, भव्य चित्रों की सज्जा, आर्ट पेपर, द्विभाषी आकर्षण और श्रमनिष्ठा से पूर्ण उत्खनन जैसी वृत्ति, कुल मिलाकर पत्रिका सचमुच ही भीड़ में अकेली है, सम्भवतः अद्वितीय। मई 2014 में शिलालेखों की प्रस्तुति बहुत सार्थक रूप में हुई थी। जून 2014 में ‘मिथिला के भित्ति चित्र’ शीर्षक एक लेख है। इसमें अंक मिला तभी से उलझा हूँ। विद्यापति की साधना भूमि तो वास्तव में कला-भूमि है। अन्तस की राजात्मक छवियों को वहाँ रंगों में उभारा गया है।

आपकी ऐसी, स्थापत्य की ही नये सिरे से स्थापित करने की तैयारी वाली, मूल्यवान पत्रिका के कुशल संपादन के लिए हार्दिक बधाइयाँ और साथ ही पत्रिका के उत्तरोत्तर उत्कर्ष के लिए शुभकामनायें।